अधूरे

कुछ लफ्ज़ यूँही ज़ुबाँ पे आके ठहर से जाते हैं, जैसे पानी का बुलबुला कभी फैलते हुए मचलते हुए अचानक से अपने ही आप टूट जाता है,… Read more “अधूरे”